मैनर्स
सौभाग्य से मुझे एक बड़े विश्वविद्यालय के अतिथि गृह में प्रवास का मौका मिला। खूबसूरत परिसर एक से उच्च शिक्षित प्रोफेसर इन सब का सानिध्य पाकर मैं अभिभूत हो गई। प्रवास का प्रथम दिवस भोजन के लिए मैं भोजन गृह की ओर गई। रात का समय था इसलिए या लोग ज्यादा नहीं आए जो भी वजह रही हो वहां मुझे एक टेबल पर केवल तीन महिलाएं दिखाई दी जो साथ में डिनर कर रही थी। मैंने भी चुपचाप प्लेट में खाना लेकर दूसरे टेबल पर खाना शुरु किया। अभी उन महिलाओं की बातचीत सुनाई दी ।बात टेबल मैनर्स से लेकर देश विदेश, विषय से संबंधित सारे ज्ञान, घर परिवार, मोबाइल से वीडियो कॉल सब कुछ एक साथ चल रहा था साथ ही पूरे वातावरण के शांति में साफ-साफ सुनाई दे रही थी उनकी प्लेट, चम्मच और कटोरियों की खटर पटर जो की इतनी ज्यादा थी जो कानों को अच्छी नहीं लग रही थी। बातों का सिलसिला भी लगातार जारी था जैसे उनकी बातों और प्लेट चम्मच की प्रतियोगिता हो रही थी कि ज्यादा शोर कौन कर सकता है? पर इस प्रतियोगिता में जीता कौन यह तो नहीं बता सकती क्योंकि तब तक मैं खाना खाकर उठ चुकी थी पर जाते-जाते भी मुझे उनकी आवाज तथा उनके चम्मच , कटोरी प्लेट की