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Showing posts from January, 2024

समझ

  सुमित 5 वर्षीय बहुत अच्छा बच्चा था।वह गाता भी बहुत अच्छा   था। माँ -बाप की तो जैसे जान ही बसती थी उसमे पूरे घर का लाडला था बस चिंता थी तो उसके भविष्य की क्योकि वह आम बच्चों की तरह पढाई में होशियार नहीं था । वह स्कूल जाने स कतराता   था।   किताब -कापियाँ उसे अच्छी नहीं लगती थी। मम्मी पापा के साथ सबके मन में यही चिंता थी कि अभी तो छोटा है पर भविष्य क्या होगा ? इतना कंपटीशन है यह क्या कर पायेगा ? कैसे इसका जीवन चलेगा यह बात सबको परेशान करती रहती ?   बहुत से स्कूल बदले टीचर बदले लेकिन सुमित के व्यवहार में कोई फर्क नहीं   पड़ा।   उसका मन प्रकृति की गोद   में लगता था। और उसे प्रकृति   को रंगो के माध्यम से कागज पर उतरने का शौक था। सुमित बहुत अच्छी पेंटिंग करता था।   सभी उसकी पेंटिंग की सहराना करते थे। लेकिन घर वालो को बस ये चिंता रहती कि पढ़ेगा नहीं तो क्या करेगा ? स्कूल में भी आये दिन उसकी शिकायत आती रहती ,   सब बहुत परेशान , किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा था। सबसे डाँट सुनकर सुमित भी अब शांत -शांत सा रहता और अकेले में बस आसमान की तरफ देखता रहता। एक दिन सुमित की ट्यूशन टीचर ने जवाब द

उपहार

  पार्टी में बहुत चहल - पहल थी। पूरा होटल शहर के रईस व्यापारी मिस्टर   आहूजा ने बुक कर लिया था केवल रेस्टॉरेंट छोड़कर क्योकि उन्होंने देश के कोने -कोने से प्रसिद्ध हलवाई बुलवाये थे जो अपने प्रदेश के खानों के लिए   मशहूर थे । मिस्टर   आहूजा अपनी इकलौती बेटी की पाँचवी सालगिरह पर कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते थे। पार्टी में आने वाला हर मेहमान वी. आई. पी.   केटेगरी में आने वाले लोग थे।   उनके साथ उनके बच्चे भी सभी पार्टी में अपनी -अपनी तरह से व्यस्त थे। बच्चे अपनी आदत के अनुसार मौज-मस्ती और खाने-पीने के हर सामान को आजमाने की कोशिश कर रहे थे , और खाने का सामान लेने के बाद पसंद ना आने पर या थोड़ा खाकर फेंक दे रहे थे। जिस हल में पार्टी चल रही थी उसके सामने ही होटल का रेस्टॉरेंट था जिसमे डॉ . श्रुति भी आई थी जो शहर की मशहूर बाल चिकित्सिक थी साथ ही समाज सेवा के भाव उनके दिल में हमेशा ही रहते थे , हमेशा ही वह लोगो की मदद करती रहती साथ ही गरीब बच्चों का ईलाज भी मुफ्त कर देतीं थीं। वह काफी देर से पार्टी का दृश्य रेस्टोरेंट के अंदर बैठकर   देख रही थीँ। उन्हें मन ही मन अन्न की बर्बादी देखकर बहुत