समझ
सुमित 5 वर्षीय बहुत अच्छा बच्चा था।वह गाता भी बहुत अच्छा था। माँ -बाप की तो जैसे जान ही बसती थी उसमे पूरे घर का लाडला था बस चिंता थी तो उसके भविष्य की क्योकि वह आम बच्चों की तरह पढाई में होशियार नहीं था । वह स्कूल जाने स कतराता था। किताब -कापियाँ उसे अच्छी नहीं लगती थी। मम्मी पापा के साथ सबके मन में यही चिंता थी कि अभी तो छोटा है पर भविष्य क्या होगा ? इतना कंपटीशन है यह क्या कर पायेगा ? कैसे इसका जीवन चलेगा यह बात सबको परेशान करती रहती ? बहुत से स्कूल बदले टीचर बदले लेकिन सुमित के व्यवहार में कोई फर्क नहीं पड़ा। उसका मन प्रकृति की गोद में लगता था। और उसे प्रकृति को रंगो के माध्यम से कागज पर उतरने का शौक था। सुमित बहुत अच्छी पेंटिंग करता था। सभी उसकी पेंटिंग की सहराना करते थे। लेकिन घर वालो को बस ये चिंता रहती कि पढ़ेगा नहीं तो क्या करेगा ? स्कूल में भी आये दिन उसकी शिकायत आती रहती , सब बहुत परेशान , किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा था। सबसे डाँट सुनकर सुमित भी अब शांत -शांत सा रहता और अकेले में बस आसमान की तरफ देखता रहता। एक दिन सुमित की ट्यूशन टीचर ने जवाब द