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Showing posts from September, 2023

दिखावा

  ' अरे कविता तू सोशल मीडिया पर नहीं है ? कीर्ति ने आश्चर्य से पूछा   ' नहीं मैं तो नहीं हूँ ' अरे क्या बात कर रही है आजकल सोशल मीडिया का जमाना है जिस पर करो   कम पर दिखा ज्यादा सकते है खासकर आजकल रील्स का जमाना है चल आज   तुझे   दिखाती   हूँ , कहकर कीर्ति   उसे   जबरदस्ती अपने   साथ ले गयी। रास्ते में चाय देखकर दोनों चाय पीने रूक गयी। अचानक कीर्ति के दिमाग में एक आईडिया आया।   उसने कविता को मोबाइल पकड़ाते हुए कहा अब जो मै अब कहने जा रही हूँ बस तू   उसका वीडियो बना लेना फिर बताऊँगी तुझे इसका क्या करना है और सोशल मीडिया की ताकत बस तू देखती जा। कविता ने मोबाइल हाथ में लेकर शूट करना शुरू कर दिया। कीर्ति ने ५०० का नोट निकलते हुए चाय वाले से बोली ' लो   बाबा   रख लो तुम्हारे काम आयेंगे ' चाय वाले के मना करने पर उसने कहा ' बाबा मै तो तुम्हारी बेटी जैसी ही हूँ रख लो ' यह सुनकर चाय वाले ने उसे रख लिया और कविता और कीर्ति अभी थोड़ा ही आगे बढ़ी थी कि एक १४-१५ साल की लड़की वहाँ आयी उसने चाय वाले की तरफ देखते हुए कहा ' बाबा भूख लगी है एक बिस्कुट दे दो पर पैसे नहीं ह

अनोखी शर्त

  आज सुबह से माँ बहुत खुश नज़र आ रही थी। आखिर इतने दिनों बाद उनके मन की मुराद जो पूरी हो रही थी।   आज एक ऐसा लड़का घर आ रहा था जो घर में भी सबको पसंद था और मुझे भी और शायद मैं भी ये विवाह करना चाहती थी। मतलब सब कुछ तय था बस औपचारिकिता मात्र   शेष   थी जो शाम तक पूरी होने वाली थी । शाम को चार बजे दरवाजे की बेल बजी और माँ ने ख़ुशी -ख़ुशी दरवाजा खोला।   स्वागत सत्कार के बाद माँ ने औपचारिकतावश पूछ ही लिया कि मैं उन लोगो को कैसी लगी ? लड़के की माँ ने कहा ' बहन जी लड़की हमें बहुत पसंद है ,   भगवानने रूप रंग योग्यता सब दी है और हमें क्या चाहिए   हमें ऐसी ही लड़की चाहिए थी " फिर उन्होंने मुझसे कहा बेटा अगर तुम लड़के से बात करना चाहती हो , कुछ पूछना चाहती हो तो पूछ सकती हो ' मैंने लड़के से कहा ' मेरी बस एक शर्त है ' शर्त ! सब एकदम से मुझे देखने लगे।   माँ ने मुझसे कहा ' बेटा   तुम ये क्या कह रही हो , कैसी शर्त ? मैंने कहा शादी के बाद माँ मेरे साथ ही रहेगी , यही शर्त है ' माँ ने मुझे डाँटते हुए कहा ये क्या बोल   रही है , ऐसी शर्त कौन रखता है आज तक ऐसा कभी नहीं हुआ 

हक

रश्मि के घर में आने से जैसे चारों ओर खुशियाँ ही बिखर गयी हो। हर एक की सुख-सुविधा का ध्यान रखना हर काम को बेहतर तरीके से करना , आस-पास हर कोई उसका मुरीद हो गया।   ससुराल में भी सब ठीक ही था। बस वो कहते है ना इच्छाओ का अंत नहीं होता चाहे वो इच्छा सही हो या गलत हो । यही हाल रश्मि के ससुराल वालो का भी था। माँ -बाप ने हैसियत   के हिसाब से शादी में ठीक-ठाक खर्च किया था | पर वह उसके ससुराल वालो को हमेशा कम ही लगता था । उसकी ननद की शादी में भी उधार   के नाम पर उसके पापा ने पीएफ से ठीक-ठाक रक़म ली।   पर शादी के इतने साल बाद भी वह रक़म वापस नहीं की गई कभी कोई बहाना , कभी कोई बहाना।   और चाहते तो ये वह फिर से मायके से कुछ ले ही आये। रश्मि चुपचाप सब सह लेती कि घर में शांति बनी   रहे। एक दिन अचानक उसके चचरे भाई का फ़ोन आया जो   की उसके पिता के साथ ही रहा करता था , कि उनकी तबियत बहुत ख़राब है।इस हॉस्पिटल में भर्ती है।   यह सुनकर रश्मि   जोर-जोर से रोने लगी और बदहवास ही बिना किसी से कुछ बताये हॉस्पिटल की ओर भागी ।   हॉस्पिटल से लौटने उसने सबको बताया कि अभी तो पिताजी कि हालत   ठीक है।लेकिन दवा मे