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जरूरत

    गाढ़ा ताजा दूध ले लो , बिलकुल शुद्ध दूध ले   लो । 11   बजे ये आवाज़ सुनकर गौरव चौंक सा गया।   निकिता ने उसे आवाज दी ' गौरव   खाना लग गया है खा लीजिए ’ ,   लेकिन गौरव बरामदे से यह देख रहा था कि इतनी रात में गली में कौन दूध बेच रहा है ? उसने देखा एक आदमी भीगते हुए   बाल्टा   लेकर आवाज लगा था   ।   इतनी बारिश , रात   का समय यदि ये दूध बेच रहा है कुछ तो ठीक नहीं है।   उसने मन में सोचा फिर निकिता से कहा ' चलो दूध लेते है ' ' अरे खाना ठंडा हो रहा है और दूध की जरूरत   नहीं है ' ' चलो न बर्तन ले के '' ' मैं नहीं जाऊँगी तुम जाओ   पता नहीं क्या पागलपन है ' निकिता बड़बड़ाते हुए टी.वी. देखने लगी।   गौरव चुपचाप किचन में गया और   बरतन लेकर नीचे जाने लगा तो निकिता से ना रहा गया , उसने बोला ' गौरव   क्यों जा रहे हो , खाना ठंडा   हो रहा है ' गौरव ने कहा ' निकिता मेरी बात को समझो तुम खुद सोचो कि इतनी बारिश में कोई इतनी रात को अगर दूध बेच रहा है तो कोई तो मजबूरी होगी ही उसकी ' रुको चलती हूँ   मैं भी ’ कहकर दोनों एक साथ नीचे चले गये । गौरव