मिट्टी की खुशबू
अंकिता और सचिन सुबह से ही बहुत खुश नजर आ रहे थे। आज पापा से बात जो करनी थी घूमने के लिए। परीक्षा के बाद छुट्टी में जाने का प्लान बन रहा था। बस जाना कहाँ है यही निश्चय करना था बाकि जाना तो तय था । शाम होते ही मयंक के घर आते ही अंकिता दौड़ कर पापा के पास आयी ' पापा -पापा इस बार हम कहाँ जायेंगे ? सचिन की प्रश्नवाचक दृष्टि भी पापा की तरफ मुड़ गयी। मयंक ने उनकी उत्सुकता को बढ़ाते हुए उन्ही से पूछ लिया ' बताओ तुम लोग कहा जाना है या अनुमान लगाओ मै कहा जाऊँगा ? दोनों बच्चों ने कहा ' पापा आप दादी के पास जाना चाहते है। मयंक का चेहरा ख़ुशी से चमक गया ' हां मेरे बच्चों तुमने बहुत सही पहचाना माँ के पास जाना है बहुत दिनों से उनकी याद आ रही थी वैसे अगर तुम कही और जाना चाहते हो तो बताओ हम वही चलेंगे ' ' नहीं पाप हम दादी के घर ही चलेंगे ” पास खड़ी सुगंधा कब से बच्चों और उनके पापा की बात सुन रही थी और अचानक से बोल पड़ी ' माँ से भी पूछ लो मुझे कहाँ जाना है ? बच्चों तुम कमरे में जाओ पापा से बात करनी है ; जैसे ही बच्चे दूसरे कमरे मे गये वह बिफर प