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Showing posts from February, 2024

संस्कार

  ट्रेन में बैठते ही सरोजिनी जी को यह चिंता सताने लगी कि नई   बहू का संस्कार कैसा होगा ? मॉडर्न   खयालों वाली , नौकरी करती है उस पर से लव मैरिज   वाली पता नहीं कैसी   होगी ?   द्विवेदी जी यानि कि सरोजिनी  जी के   पति उन्हें बार -बार समझा रहे थे कि बिना मिले किसी के बारे में कुछ सोचना गलत है पहले मिल लो पहले मिल ले नहीं ठीक लगा तो वापस आ जायेंगे।   उनका बेटा   जो कि   दिल्ली में जॉब करता था उनसे कई बार उनसे कहा कि वह और उसकी माँ दिल्ली में आकर उसके साथ रहे पर उसकी माँ उसकी लव मैरिज से नाराज थी , वह नहीं जा रही थी।   आखिर   बेटे की जिद के कारण उन्हें झुकना पड़ा और वह पति के साथ दिल्ली   आयी पर पूरे रास्ते उन्हें जीन्स वाली बहू के आचरण पर उसके व्यवहार पर उन्हें शक ही था। शंकित मन से वह ट्रेन   से उतरती है जहां उनका बेटा बहु   साथ ही पोता भी उनके स्वागत के लिए पहले ही खड़े थे। सब ने झुक कर उनके पैर छुए पर सरोजिनी जी बहू का पहनावा देखकर चिढ सी गयी। भारी मन से उन्होंने घर की ओर कदम बढ़ाया।   घर पहुंच कर उन्होंने देखा कि घर तो बहुत करीने

भगवान

नंदिता और अर्चना बहने ं थी मगर सौतेली।   नंदिता की माँ की मृत्यु के बाद पिता ने दूसरी शादी कर ली। नाम के अनुरूप ही सौतेली माँ का व्यवहार सौतेला ही था नंदिता के लिए अलग अर्चना के लिए अलग।दोनों बच्चों में बहुत भेद करती थी यहाँ तक कि नंदिता को स्कूल के लिए टिफिन भी नहीं देती थी। नंदिता को इन सब बातों से कोई शिकायत भी नहीं थी घर का काम और पढाई बस वह अपनी दुनिया में खुश रहती। पिता नौकरी के लिए बाहर रहते थे। जब घर आते तो सौतेली माँ नंदिता के साथ अच्छा व्यहार करतीं थी और उनके जाते ही फिर से पुराना रवैया।   नंदिता पढ़ने में बहुत अच्छी थी पर उसकी सौतेली माँ को यह बात भी नागवार गुजरती क्योंकि उनकी बेट अर्चना पढ़ने में अच्छी नहीं थी इसलिए नंदिता के 12th पास करते ही उसकी सौतेली माँ ने पिता से कहा ' सुनो ज्यादा पढाने लिखाने पर लड़के अच्छे नहीं मिलते दहेज़ भी देना होता है हम कहा से इतने पैसे लायेंगे ? मेरे पास एक रिश्ता है लड़का अच्छा है पर गरीब है दान दहेज़ का भी लफड़ा नहीं। नंदिता की शादी कर देते है। नंदिता के पिता भी राजी हो गये   और नंदिता ने इसे किस्मत मानकर चुप - चाप शादी कर ली। नंदि