संस्कार

 

ट्रेन में बैठते ही सरोजिनी जी को यह चिंता सताने लगी कि नई  बहू का संस्कार कैसा होगा ? मॉडर्न  खयालों वाली ,नौकरी करती है उस पर से लव मैरिज  वाली पता नहीं कैसी  होगी ?  द्विवेदी जी यानि कि सरोजिनी  जी के  पति उन्हें बार -बार समझा रहे थे कि बिना मिले किसी के बारे में कुछ सोचना गलत है पहले मिल लो पहले मिल ले नहीं ठीक लगा तो वापस आ जायेंगे।  उनका बेटा  जो कि  दिल्ली में जॉब करता था उनसे कई बार उनसे कहा कि वह और उसकी माँ दिल्ली में आकर उसके साथ रहे पर उसकी माँ उसकी लव मैरिज से नाराज थी ,वह नहीं जा रही थी। 

आखिर  बेटे की जिद के कारण उन्हें झुकना पड़ा और वह पति के साथ दिल्ली  आयी पर पूरे रास्ते उन्हें जीन्स वाली बहू के आचरण पर उसके व्यवहार पर उन्हें शक ही था। शंकित मन से वह ट्रेन  से उतरती है जहां उनका बेटा बहु  साथ ही पोता भी उनके स्वागत के लिए पहले ही खड़े थे। सब ने झुक कर उनके पैर छुए पर सरोजिनी जी बहू का पहनावा देखकर चिढ सी गयी। भारी मन से उन्होंने घर की ओर कदम बढ़ाया। 

घर पहुंच कर उन्होंने देखा कि घर तो बहुत करीने से सजा है।  बहू अंजलि तुरंत किचन में जाकर चाय-नाश्ता बना लाती है। और उसके बाद अपने बेटे से कहती है 'चिंटू जाओ अपने दादा-दादी को कमरा दिखा दो।  चिंटू चहकते हुए अपने तोतले स्वर में कहता है 'तलिये आपको तमरा दिखा दू ' सरोजिनी जी और मिस्टर द्विवेदी जी उसकी भाषा सुनकर हँसते हुए कहते उसके जैसे ही बात करते है 'तलो '. कमरा अच्छे से व्यवस्थित था , उनके जरूरत  का हर सामान मौजूद था।  सरोजिनी जी को थोड़ा आश्चर्य  हुआ धीरे- धीरे बहू के व्यवहार ने उनका मन बदल दिया पर वह हमेशा बेटे की शादी अपनी  पसंद की संस्कारी लड़की से करना चाहती थी जो साड़ी पहनती हो मांग में सिन्दूर हो और हाथों में चूड़ियाँ हो।  इसकी कसक उन्हें हमेशा रहती कि उनकी बहू ये सब नहीं पहनती।

एक दिन सामने बालकनी में उन्होंने अपनी' कल्पना जैसी बहू को तुलसी जी में जल चढ़ाते देखा।  उसे देखकर उनका मन खिन्न हो गया।  इतने में अंजलि आकर कहती है 'मम्मी  जी चलिए नाश्ता कर लीजिये ' नाश्ता करते -करते अचानक सामने से जोर-जोर से आवाज आने लगी जैसे कोई लड़ रहा हो उन्होंने बहू से पूछा कि ये किसकी आवाज है? ' अंजलि ने कहा 'छोड़िए मम्मी जी यह तो रोज का है सामने वाले घर से आवाज आ रही है  ' वह जो अभी जल चढ़ा रही थी उनकी की ही आवाज है। सरोजनी जी आश्चर्य से सोचती है ऐसी वेश भूषा और आचरण ऐसा?

 

 रात  में नीचे से बहू  की आवाज आती हैमाँ जी आप आप  खाना खाने आ जाईए 'दोनों लोग डाइनिंग टेबल पर अपनी पसंद का खाना देखकर आश्चर्य से भर गए।  बेटे ने कहा कि आप की बहू ने आप की पसंद पूछकर आप की पसंद का खाना बनाया है खाइये वैसे भी अंजलि खाना बहुत अच्छा बनाती  है ' खाना वाकई बहुत अच्छा था सरोजिनी जी ने भी खूब  तारीफ की बहू की।

 रात का डिनर खत्म सब सोने चले जाते हैं सरोजिनी जी ने अपने पति से कहा मैं भी शायद इतनी अच्छी बहू न खोज  पाती ' द्विवेदी  जी ने कहा ' मैं तो पहले ही कह रहा था कि बिना मिले किसी के बारे में कोई धारणा ना  बनाओ  । हो सकता है कोई ये कपड़े सुविधा के लिए पहनती हो बाहर कितने काम करने होते है उसे ' आप ठीक कह रहे है संस्कार कपड़ो से नहीं आते आज तो मुझे बहू के कपड़ो से कोई एतराज नहीं' ' चलो देर आए दुरुस्त आए ' कहकर द्विवेदी जी हॅसने लगे और सरोजिनी जी भी मुस्करा दी। 

 

 

 

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