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इलाज

    प्रियंका की सास जबसे उसके पास गाँव   से आयी है तब से उसने उनका बहुत ख्याल रखा समय पर दवा ऊपर के ए . सी . वाले कमरे में रहने की व्यवस्था सब कुछ।   लेकिन सास का स्वास्थ ठीक होने की बजाय पहले की अपेक्षा गिरता ही जा रहा   था जिसे देखकर बेटा बहू भी परेशान थे कि अब क्या करे ?   लोग तो यही कहेंगे कि   बहू -बेटे माँ का ध्यान नहीं रख रहे । एक दिन प्रियंका ने दवा देते वक्त सास से   पूछ ही लिया   ' माँ जी क्या आपको यहाँ कोई कमी है ? क्यों आप ठीक होने की बजाय और बीमार रहने लगी है ? लोग तो यही कहेंगे ना कि हम आप का ठीक से ध्यान नहीं रखते।   सास ने कहा “ बेटा तुम लोगो ने कोई कमी नहीं की है बस एक काम और कर दो “   वो क्या माँ जी ”? मेरा बिस्तर नीचे आँगन में लगवा दो '' ये आप क्या कह रही है माँ जी लोग क्या कहेंगे ? खुद सुख-चैन से कमरे में और सास को आँगन में छोड़ दिया हम ऐसा नहीं करेंगे ” कहकर प्रियंका चली गयी। दिन पर दिन   माँ जी की हालत में कोई सुधार न देखकर डॉक्टर बदले गए पर नतीजा वही। आख़िरकार थक - हार कर एक दिन मेरे बेटे बहू ने आपस में बात की “ पता नहीं माँ जी कितने

मिट्टी की खुशबू

  अंकिता और सचिन सुबह से ही बहुत खुश नजर आ रहे थे। आज पापा से बात जो करनी थी घूमने के लिए।   परीक्षा के बाद छुट्टी में जाने का प्लान बन रहा था।   बस जाना कहाँ है यही   निश्चय करना था बाकि जाना तो तय था । शाम होते ही मयंक के घर आते ही अंकिता दौड़ कर पापा के पास आयी ' पापा -पापा   इस बार हम कहाँ जायेंगे ?   सचिन की  प्रश्नवाचक  दृष्टि भी पापा की तरफ मुड़   गयी। मयंक ने उनकी उत्सुकता को बढ़ाते हुए उन्ही से पूछ लिया ' बताओ तुम लोग कहा जाना है या अनुमान लगाओ मै कहा जाऊँगा ?   दोनों बच्चों ने कहा ' पापा आप दादी के पास जाना चाहते है।   मयंक का चेहरा ख़ुशी से चमक गया ' हां मेरे बच्चों तुमने बहुत सही पहचाना माँ के पास जाना है बहुत दिनों से उनकी याद आ रही थी वैसे अगर तुम कही और जाना चाहते   हो   तो बताओ हम वही चलेंगे ' ' नहीं पाप हम दादी के घर ही चलेंगे ” पास खड़ी सुगंधा कब से बच्चों और उनके पापा की बात सुन रही थी और अचानक से बोल पड़ी ' माँ से भी पूछ   लो मुझे कहाँ जाना है ? बच्चों तुम कमरे में जाओ पापा से बात करनी है ; जैसे ही बच्चे दूसरे कमरे मे गये वह बिफर प

संस्कार

  ट्रेन में बैठते ही सरोजिनी जी को यह चिंता सताने लगी कि नई   बहू का संस्कार कैसा होगा ? मॉडर्न   खयालों वाली , नौकरी करती है उस पर से लव मैरिज   वाली पता नहीं कैसी   होगी ?   द्विवेदी जी यानि कि सरोजिनी  जी के   पति उन्हें बार -बार समझा रहे थे कि बिना मिले किसी के बारे में कुछ सोचना गलत है पहले मिल लो पहले मिल ले नहीं ठीक लगा तो वापस आ जायेंगे।   उनका बेटा   जो कि   दिल्ली में जॉब करता था उनसे कई बार उनसे कहा कि वह और उसकी माँ दिल्ली में आकर उसके साथ रहे पर उसकी माँ उसकी लव मैरिज से नाराज थी , वह नहीं जा रही थी।   आखिर   बेटे की जिद के कारण उन्हें झुकना पड़ा और वह पति के साथ दिल्ली   आयी पर पूरे रास्ते उन्हें जीन्स वाली बहू के आचरण पर उसके व्यवहार पर उन्हें शक ही था। शंकित मन से वह ट्रेन   से उतरती है जहां उनका बेटा बहु   साथ ही पोता भी उनके स्वागत के लिए पहले ही खड़े थे। सब ने झुक कर उनके पैर छुए पर सरोजिनी जी बहू का पहनावा देखकर चिढ सी गयी। भारी मन से उन्होंने घर की ओर कदम बढ़ाया।   घर पहुंच कर उन्होंने देखा कि घर तो बहुत करीने